अनार (भगवा सिन्दूरी)

जैसा कि आप सभी जानते हैं अनार हमारे देश में खाए जाने वाले फलों में प्रमुख स्थान रखता है| अनार का जूस एक स्वास्थ्यवर्धक व रक्तवर्धक के रूप में कार्य करता है| आपको बताते चलें कि अनार की सर्वाधिक खेती महाराष्ट्र में होती है, यहाँ अनार की उन्नत किस्में उगाई जाती हैं| महाराष्ट्र की काली मिट्टी में अनार की उपज बहुत अच्छी होती है|  महाराष्ट्र के बाद राजस्थान  दूसरे स्थान पर आता है|

यहाँ की जलवायु अनार कि खेती के लिए उपयुक्त है| देश भर में अनार की अनेक किस्में उगाई जाती हैं लेकिन वर्तमान में अनार की भगवा सिन्दूरी प्रजाति सबसे उत्तम मानी जाती है| इसमें अन्य प्रजातियों की अपेक्षा रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है| इसके फलों की ऊपरी परत मजबूत होने के कारण पक्षियों से होने वाले नुकसान का खतरा भी कम होता है| इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन तथा एंटी ओक्सिडेंट पाया जाता है|

अनार के पौधे का रोपण करने से पहले निम्न बातों को याद रखना आवश्यक है –

  1. अनार के पौधे को पानी की कम आवश्यकता पड़ती है अतः इसका रोपड़ करने के लिए सबसे उपयुक्त समय जुलाई अगस्त तथा फरवरी मार्च में होता है|
  2. यह वर्ष में दो बार फल देता है तथा इसकी अवधि लम्बी होती है|
  3. इस किस्म में फल का आकार तथा चमक अधिक होती है| बाहरी संरचना के साथ-साथ इसका बीज भी स्वादिष्ट मीठा व मुलायम होता है|
  4. इसका रोपण करने के समय यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक पौधे के बीच 8×8 की दूरी उचित है| एक एकड़ क्षेत्रफल में इसके 500 से 600 पेड़ तक लगाये जा सकते हैं|
  5. अन्य फसलों की अपेक्षा अनार की खेती से किसान 10 से 12 लाख की आमदनी कर सकता है|