आंवला (चकैया)

आंवला को आमतौर पर गुजबेरी तथा नेल्ली के नाम से जाना जाता है| आंवले को इसके औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है| यह फल विभिन्न दवाइयों को तैयार करने के लिए किया जाता है| आंवला से बनी दवाइयों से एनीमिया, डायरिया, दांतों का दर्द, बुखार तथा जख्मों का ईलाज किया जा सकता है| विभिन्न प्रकार के शैम्पू, बालों में लगाने वाले तेल, डाई, दांतों का पाउडर, चेहरे पर लगाने वाली क्रीम आदि आंवले से ही तैयार होती है| यह मुलायम और बराबर शाखाओं वाला वृक्ष है जिसकी औसतन ऊँचाई 8 से 18 मीटर होती है|

आंवले का पौधा रोपण करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें-

  1. आंवले का पौधा शख्त होने की वजह से मिट्टी की हर किस्म में उगाया जा सकता है|
  2. इस पौधे को हल्की तेजाबी, नमकीन और चूने वाली मिट्टी में उगाया जाना उचित है| इसके लिए उपयुक्त मिट्टी का P.H. मान 6.5 से 9.5 तक होना चाहिए|
  3. आंवला बहुत ही कम पानी में होने वाला वृक्ष है|इसके लिए मीठे पानी की आवश्यकता नहीं होती है| यह खारे पानी में भी हो सकता है|
  4. एक एकड़ में 200 पेड़ तक लगा सकते हैं जिसकी दूरी 15×15 से कम नहीं रखनी चाहिए|
  5. आंवला की चकैया प्रजाति जल्दी पकने वाली है जो कि मध्य अक्टूबर से नवम्बर तक पक जाती है| इसका आकार बड़ा, भार कम से कम 48 से 60 ग्राम हल्का मुलायम होता है|
  6. एक पेड़ से इस फल की इसकी औसत पैदावार 150 किग्रा.से 200 किग्रा. तक होती है| इसे अचार या मुरब्बा बना कर भी बेच सकते हैं|
  7. आंवला का बाजार में औसत मूल्य 20 से 30 रूपये प्रति किग्रा. रहता है|
  8. आंवला की एक एकड़ क्षेत्रफल की खेती से लगभग 8 से 10 लाख रुपये की आमदनी आराम से कर सकते हैं| इसका समय 20 से 25 वर्ष तक होता है|